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आज के युग में प्यार,इश्क,और लव

antardwand
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प्रिय पाठको सादर नमस्कार .
मेरा आज का विषय है प्यार,प्रेम,या यु कह लीजिये वर्तमान की भाषा में लव ,मेरे मन मे काफी समय से ये सवाल उठ रहा था की कि क्या शादी के बाद भी प्यार संभव है ,और यदि हां तो वो किस तरह का प्रेम होता है.आजकल कुछ अनोखी बाते सुनने को मिलते है कि फलाना ओरत अपने बच्चो को छोड़कर किसी के साथ भाग गई या किसी आदमी ने अपनी पहली पत्नी को छोड़कर किसी और से शादी कर ली .आज के इस आधुनिक और प्रगतिशील युग में प्यार के मायने ही बदल गये है .जहा कभी हम शीरीं फरहान कि बात करते थे या लैला मजनू के किस्से सुनते थे .जहा प्यार एक निस्वार्थ और त्याग कि भावना से वशीभूत होता था आज वही यही प्यार त्याग करता नही दुसरे से त्याग मांगता है.कि जेसे हमने प्यार किया है और अब आप इसकी सजा भुगतो.प्यार तो दो आत्माओ के मिलन का नाम है.पर आज के इंसान का किसी एक आत्मा से तो मन भरता ही नही .क्या समय बदलने के साथ साथ आज प्यार भी बदल गया है.प्यार को पूजा का नाम दिया जाता था.पर आज तो यही पूजा आपको गली के हर कोने पर ,नुक्कड़ पर ,पार्क में ,रेस्टोरंट में,घर मे,स्कूल में ,कालिज में ..या ये कह लीजिये कि हर जगह देखने को मिल जाएगी.पहले कभी कभी प्यार मोह्ह्हबत के किस्से सुनने को मिलते थे. पर आज तो मानो जेसे सबको ही प्यार का बुखार हो गया हे ..क्या सच में प्यार ऐसा ही होता है ?नही…प्यार तो निस्वार्थ ,सच्चा और सामने वाले के लिए कुछ भी कर गुजरने का नाम है.प्यार तो शायद ईश्वर कि स्तुति का दूसरा नाम हे.आज का प्यार केवल शारीरिक सुख और तोहफों या गिफ्ट का मोहताज़ रह गया है.आज प्यार मन से नही..तन से.कपड़ो से,पेसे से,या फिर इस दोड़ती भागती ज़िन्दगी में से कुछ पल सुकून के ढूंढने का नाम रह गया हे.आज सब लोग प्यार कि तलाश में घर से बाहर जाते हे.पहले इश्क के लिए घर से बाहर जाना जरुरी नही था न ही बालो में हेयर जेल लगाना जरूरी था और न ही लड़कियों को तंग या उघडे कपडे पहनना जरूरी था ..अब प्यार केवल इन में ही सिमट कर रह गया हे..अब प्यार केवल काम-वासना कि तृप्ति का साधन बन कर रह गया हे.हो सकता हे कि आज के युग में भी सच्चे प्रेमी हो जो सचमुच एक दुसरे से प्यार करते हो …जिनका प्यार रोजमर्रा कि जरूरतों से कही उपर हो …आज का प्यार तो केवल एसेमेस का मोहताज़ बन कर रह गया है ..अगर आपने सामने वाले का जवाब प्यार से नही दिया तो प्यार खत्म ..और पहले के जमाने में प्यार एक से होता था और अब तो अनेक से होता है…ये इश्क,प्यार ,लव,मोहब्बत नही है ये केवल एक का दुसरे के प्रति मायावी खिचाव है …और कुछ नहीं…
त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हु..
धन्यवाद .

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