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आदरनीय पाठकगन
मैने अपने पिछले लेख जो की देनिक जागरण में भी प्रकाशित हो चूका है ,में लिखा था की की हमारे कानून मंत्री की सोच ओरतो के पीछे कितनी कुटिल मानसिकता छुपाये हुए है .अब उसी से तालमेल बिठाती हुई बात हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला जी कह रहे है.मुझे तो यही समझ नही आ रहा की इन नेताओ को हो क्या गया है क्या ओरते भारत देश का हिस्सा नही है या केवल पुरुष ही उसकी पहचान और हिस्सा है. खाप पंचायतें तो अपने फरमानों को लेकर चर्चा में रहती ही हैं लेकिन हाल ही में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ती यौन आपराधिक घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए खाप पंचायतों के उस बयान या फिर यूं कहें फरमान को सही ठहराया है जिसके अनुसार लड़कियों का विवाह 15 वर्ष की उम्र में कर दिया जाना चाहिए। इससे जल्दी विवाह कर दिए जाने से उनके साथ होने वाली बलात्कार की घटनाओं पर भी लगाम लगाई जा सकती है।इस बयाँ से उनकी पिछड़ी हुई और पुरुष प्रधान सोच का पता लगता है.यदि बलात्कार के मामले समाज में बद रहे है तो उसके पीछे भी कही न कही पुरुष ही जिम्मेदार है.इसमें उस लड़की या ओरत का क्या कसूर है जो हेवानो की हवस का शिकार बनती है.वो स्वयं तो अपना बलात्कार नही करती ,पुरुषो के द्वारा ही प्रताड़ित की जाती है.तो फिर इस सन्दर्भ में नियम कायदे कानून एक लड़की के लिए ही क्यूँ .एक लड़की क्यूँ इसका खामियाजा भुगते जबकि नियत में खोट तो पुरुषो क है.ये कायदे कानून तो केवल पुरुषो के लिए होने चाहिए.यदि १५ वर्ष तक की उम्र में विवाह कर दिया जायेगा तो क्या ये बलात्कार की घटनाये खत्म हो जाएगी,पुरुषो की मानसिकता को कोन बदलेगा ,,वो तो जस की तस ही रहेगी.आप लोग शायद कुछ वर्ष पूर्व का नॉएडा का निठारी हत्याकांड नही भूले होंगे ,जिसमे सुरेंदर नामक व्यक्ति ने न जाने कितनी ही अबोध कन्याओं के साथ दुष्करम करके उनके हाथ पैर काटकर हत्या करने के बाद नालो में बहा दिया था..वो सब क्या था ..उनमे से १ भी लड़की की उम्र १० वर्ष से अधिक नही थी .और हमारे पूर्वे मुख्यमंत्री जी ने तो विवाह के लिए १५ वर्ष की उम्र सीमा तय कर दी…जो इस उम्र से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म होते है वो शायद उनके लिए तो सोचना भूल ही गये.या फिर खाप पंचायते और मंत्री जी मिलकर नई उम्र सीमा तय करेंगे,नया फरमान जारी करेंगे.वो शायद बलात्कार के मामलो के आंकड़ो के बारे में अनभिज्ञ है ,यदि उन्हें ये ज्ञात होता तो कदाचित ऐसा कथन नही कहते.ये तो १५ वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की व्यथा थी अब बुजुर्ग महिलायों के बारे में क्या कहू .हमारे भारत देश की राजधानी में बुजुर्ग महिलाये भी इन हवाशियों का शिकार बन चुकी है,तो इनके बारे में मंत्री जी कोन सा कानून लायेंगे. मंत्री जी ने लड़कियों के बारे में तो निर्णय सुना दिया अब बेचारी ओरते और बुज़ुर्ग महिलाये कहाँ जाएँगी न्याय मांगने के लिए.यदि मंत्री जी कहते की जो भी व्यक्ति,बलात्कार,छेड़खानी के मामले में संलिप्त पाया गया तो उसे जुर्माने सहित १० वर्ष या उससे अधिक की कठोर सज़ा मिलेगी तो शायद इस पर कुछ रोक लग सकने की उम्मीद थी..पर वो तो इसमें भी ओरत को ही कसूरवार ठहराकर उसे ही कम उम्र में शादी की सज़ा सुना रहे है,क्या वो उसके साथ बलात्कार नही होगा जब वो १५-१६ साल की उम्र में ही माँ बन जाएगी ,जो उसके साथ गेरकानुनी रूप से होता वो उसके साथ कानून का दर्ज़ा देकर होगा उसे पर कानून की मोहर लगी होगी.कान को कैसे भी घुमा कर पकड़ लो,पकड़ा तो कान ही जायेगा न…स्त्रियाँ भी परमात्मा का बनाया हुआ अंश है,तो फिर उनके साथ ऐसा दुर्वव्हार क्यूँ.क्या उन्हें पड़-लिख कर आत्मनिर्भर होने का हक नही.क्या उसके सपने ,उसके अरमान,जीवन जीने की चाह सब की बलि दे दी जानी चाहिए.मंत्री महोदय जी,ओरत भी इस जीवन रूपी गाड़ी का पहिया है,क्या एक पहिये पर गाड़ी चल जाएगी ..जिस उम्र में उसे बच्चो के साथ खेलना चाहिए उसी उम्र में वो अपने बच्चे पैदा करके उन्हें खिलाएगी.ये स्त्री दमन नही तो और क्या है?जब देखो ओरत ही दबेगी,में ये नही कहती की ओरतो को अपनी मर्यादाओ का उलंघन करना चाहिए पर १ इंसान होने के नाते उन्हें भी अपने तरीके से जीवन जीने का हक है.खुले आसमान में उड़ने की चाह है.उनमे भी परमात्मा का अंश है,तो उसके साथ ही ऐसा अन्याय क्यूँ ? कुकृत्य पुरुष करें और सज़ा लड़की भुगते ये कहाँ का इंसाफ है.यदि लड़कियां पड़ -लिखकर आत्मनिर्भर बनती है तो इनमे कही न कही पुरुषो को सहारा ही होता है..इस महंगाई के दोर में आजकल लड़के जॉब वाली लड़की की डिमांड करते है तो यदि वो १५ वर्ष की उम्र में ही विवाहित हो जाएँगी तो क्या आत्मनिर्भर बनेगी,वो तो सिर्फ चूल्हा-चक्की करेंगी.फिर इस डिमांड का क्या होगा.पुरुषों को दोनों हाथों में लड्डू चाहिए…लड़कियों की जल्दी शादी करना इस समस्या का हल नही है,इसके लिए तो ठोस नियम,कायदे और कानून की जरूरत है,पर इस भारत देश में तो कानून के रखवाले भी अक्सर किसी न किसी ओरत या लड़की तो अपनी हवस का शिकार बना चुके है.उन्हें ससपेंड भर कर देने से भी समस्या खत्म नही होगी ,कड़ी कार्यवाही आवयशक है.विवाह में देरी इसका कारण नही है ,इस कुकर्त्य और हवस के पीछे पुरुषो में छुपी गन्दी और ओछी मानसिकता ही इसका प्रमुख कारण है..जिसपर लगाम केवल सख्त नियम,कायदे और कानून के द्वारा ही लग सकती है न की एक नाबालिग लड़की की बलि देकर
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त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हू..
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