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आदरणीय पाठकगन,
संवेदनाए जब भावनाओ और कल्पनाओ का ज्वार बनकर हृदय को छूती है तो उसकी अभिव्यक्ति लेख या कविता के माध्यम से व्यक्त होती है.मै अपनी भावनाओ को लेख के माध्यम से ही प्रस्तुत कर रही हू.
आज की भोतिकवादी तथा झूठी ज़िन्दगी में जो व्यक्ति किसी तरह अपनी-अपनी जरूरते पूरी कर रहा है वही कामयाब बनकर ओरों को कामयाब होने के तरीके बता रहा है.चाहे वो तरीके गलत और अपूरण और समाज के दायरे से बाहर ही क्यूँ न हो .क्यूंकि मैने अक्सर उन्ही लोगों को तरक्की करते देखा है,जिन्होंने ओरो का हक छीना है या कमज़ोरों को और कमज़ोर किया है .यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है.इसी कारणवश गरीब और गरीब एवं अमीर और अमीर होता जा रहा है .हमारे भारत देश मे गरीबी के स्तर को कम करने के लिए समय समय पर बहुत सी योजनाएं बनाई जाती है परन्तु उन्हें गरीबों तक पहुँचने से पहले ही घोटालो और भ्रष्टाचार की बली चड़ा दिया जाता है.भारत जेसे विकासशील देश में अभी भी आम आदमी को अपनी आधारभूत जरूरते ( रोटी,कपड़ा और मकान ) के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. जब एक आम इंसान इनकी पूर्ति करने में ही असमर्थ है तो वह आगे बड़ने के सपने कैसे देख सकता है, उसका जीवन तो इन्ही आधारभूत जरूरतों की पूर्ति में ही समाप्त हो जायेगा .आम भाषा में ये कहावत प्रचलित है की पैसे से ही पैसा कमाया जाता है.तो गरीब व्यक्ति कहाँ से अमीर बनेगा क्यूंकि उस पर तो गरीबी की मोहर लग चुकी है.
सपने देखना और सुनहरे पलों का इंतजार करना इंसान का स्वभाव है .यह आशावादी नजरिया एक विश्वास ,एक भरोसा पैदा करता है जो उसे जीवन में आगे बड़ने के लिए प्रेरित करता है.परन्तु जब भरोसा टूटता है तो इंसान व्यथित हो जाता है अंतर्मुखी हो जाता है.फिर वही आशावादी दृष्टिकोण वाला इंसान परिवर्तित होकर निराशावादी,स्वार्थी एवं अविवेकी बन जाता है.धेर्य और विवेक की भी एक सीमा होती है जो मनुष्य -मनुष्य पर निर्भर करती है .मैने इस संकलन में वही संकलित किया है जो मैने आसपास के परिवेश में देखा है और महसूस किया है ,ये केवल मेरे अपने विचार है जो मुझे सोचने पर मजबूर करते है की कभी भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था ,वहा इंसान की ऐसी दुर्गति होगी की उसे गरीबी के चलते परिवार सहित आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा .इसका जिम्मेवार कोन है.क्या स्वयम वह गरीब व्यक्ति या उसकी गरीबी.आज प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हुई है ,लेकिन ये केवल उन्ही पूंजीवादियों के लिए है जो अपना व्यापार सुचारू रूप से चला रहे है ,जिन्हें सरकार से हर सम्भव सहायता प्राप्त है. जब तक गरीबों के लिए बनाई गई योजनाये सीधे गरीबों तक नही पहुंचेगी ये अमीरी और गरीबी का अंतर बड़ता जायेगा .
त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हू .
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