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सेक्स एजुकेशन – Jagran Junction Forum

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भारत देश अपनी सभ्यता,संस्कृति,धर्म और भक्ति के कारण जाना जाता है.भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ सब धर्मों का सम्मान किया जाता है.पर कोई भी धर्म हमे खुलेपन की आज़ादी नही देता.लेकिन वर्तमान समय में बड़ रहे योन अपराधों पर अंकुश लगाना बेहद जरुरी हो गया है.बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है.जहाँ से वह बहुत कुछ सीखता है,वहीं से बच्चे के भविष्य की नीव रखी जाती है.क्यूंकि उस समय बच्चा अबोध होता है,सही गलत से अनभिज्ञ होता है.सेक्स एजुकेशन है क्या ? आज हर छोटे से छोटा बच्चा टेलीविज़न के माध्यम से यह जानता है कि सेक्स क्या होता है लेकिन उसका ज्ञान अधकचरा है इसीलिए वह इन्टरनेट के माध्यम से वह सच जानने की कोशिश में लगा रहता है और इस तरह वह सेक्स की और अग्रसर होता है.स्कूलों में सेक्स की शिक्षा देना या न देना तर्क का विषय नही है ,पहले बच्चे का चरित्र निर्माण होना चाहिए. उसे नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए न की सेक्स शिक्षा. जो पाठ्यकर्म उसे पढाये जा रहे है उसमे नैतिक मूल्यों को भी जोड़ देना चाहिए.जब बच्चे को अपने ओर दुसरे के भले बुरे का ज्ञान हो जायेगा उसका चरित्र निर्माण अच्छी तरह हो चूका होगा तो वह गलत कार्य कर ही नही सकता. एक बालक सही और गलत का फैसला नही कर सकता लेकिन बड़े तो सब जानते है.बड़ते योन अपराधो में 90 प्रतिशत में तो व्यस्क ही संलिप्त होते है .महात्मा बुद्ध को किसी ने सेक्स एजुकेशन नही दी थी और न ही कवि कालिदास को.तो क्या वे चरित्रहीन बन गये. ये तो पूर्वजन्म के लेख और इस जन्म के संस्कार और वातावरण ही बच्चे को आगे चलकर योंन अपराधी बनाते है .जो बच्चे इन चीजों से कोसों दूर है अनभिज्ञ है वे भी इन्हें जान जायेंगे.हमारी युवा पीड़ी अपनी संस्कृति संसकारों से दूर होती जा रही है और पश्चिमी सभ्यता की नक़ल कर रही है इसमें सबसे बड़ा हाथ मीडिया का है .हर कोई विदेश नही जाता,विदेशी सभ्यता के दर्शन उन्हें घर बेठे ही टी.वी में हो जातें है.रोक लगानी है तो मीडिया और मैगज़ीन पर लगनी चाहिए जो इसे मसाला लगाकर रोज़ परोस रही है.बच्चा जो देखता है वही सीखता है.तो ऐसा वातावरण ही निर्मित नही होने देना चाहिए और न ही उनके स्कूलों में इनसे अवगत कराना चाहिए.यदि आज योन अपराधों में वृद्धि हो रही है तो उसका कारण सेक्स एजुकेशन में कमी नही बल्कि मानसिक कुंठा और नैतिक मूल्यों का अभाव है,जिन्हें एक स्त्री की या लड़की की इज्ज़त करना नही सिखाया जाता .और यदि देनी ही है तो सेक्स एजुकेशन तब तक फायदेमंद नही हो सकती जब तक नैतिक शिक्षा सही तरीके से न दी जाय .शारीरिक संबंधो की जानकारी से अवगत कराना वर्तमान समय की मांग है लेकिन इसके साथ ही नैतिक आचरण को भी स्वस्थ रखने की जरुरत है .इससे बच्चे अपने साथ होनी वाली अनैतिक हरकतों को समझ पाएंगे तो अभिभावकों को अपनी आप बीती भी सुना सकते है जिसके परिणामस्वरूप बाल योन शोषण जैसे अपराध भी कम हो सकती है .नैतिक आचरण किसी किताब से पड़कर नही सिखा जा सकता इसमें परिवार और विद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण है .हमे परम्परागत तरीके से वर्तमान समय की मांग के अनुसार बदलाव करते हुए शिक्षा देनी होगी .” चरित्र गया तो सब गया ” वाली कहावत ध्यान में रखते हुए ही नैतिक शिक्षा और सेक्स एजुकेशन दी जानी चाहिए.
त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हु.

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