antardwand
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जी चाहे….
इन झील सी आँखों में डूबने को जी चाहे
तेरे शबनमी अधरों को पीने का जी चाहे
जब जब हो दीदार तेरे हुस्ने तिलिस्म का
बस तेरा होकर जीने को जी चाहे …
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
जख्म तेरी चाहत ने कितने दिए हैं मुझको
सोचता हूँ की कहूँ तुझसे मगर जाने दे..
आरती शर्मा
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